सभी के घरों में एक मन्दिर अवश्य होता है, इस मन्दिर में मनुष्य देवी-देवताओं की मूर्तियां रखकर उनकी पूजा करके भगवान से आर्शीवाद प्राप्त करता है।
वास्तु शास्= जोकि एक धाार्मिक परम्परा है के अनुसार मनुष्य जब अपने घर में मन्दिर सही दिशा में बनाता है जब उसे उसके द्वारा की जा रही पूजा का ज्यादा अच्छा फ़ल मिलता है।
मन्दिर को हर तरह से अच्छा सजाने के साथ-साथ उसका सही दिशा में होना भी आवश्यक होता है।
यह तो आजकल सभी को पता है कि मन्दिर ईशान कोण में बनाया जाना अच्छा होता है, उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इसी दिशा में आपको अपना मन्दिर बनाना चाहिये।
एक और महत्वपूर्ण बात कुछ लोग अपने पूर्वजों की फ़ोटो भी मन्दिर के साथ ही लगा देते हैं, जोकि पूर्णतया गलत है।
पूर्वजों की फ़ोटो को दक्षिण दिशा में लगानाहोता है।
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